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लेखनी कहानी -01-Aug-2023 वो हमसफ़र था, एपिसोड 15




अभीर और हंशल दोनों ही गाड़ी में बैठे, हनिश्का और संध्या वो वहां से जाते देखते रहे ज़ब तक की वो आँख से औझल न हो गयी, तब हंशल ने अभीर की और देखा वो भी उन दोनों को बड़ी गौर से देख रहा था


उसे ऐसा देखा हंशल ने अभीर के कांधे पर अपना हाथ मारा और बोला " बस भाई,,, वो दोनों जा चुकी है,,, क्या चलना नही है? "


अभीर अपने कांधे पर किसी का स्पर्श होता देख, सामने से नजरें हटाते हुए बोला " हाँ,,, हाँ,,, चलना है,,, चलना क्यूँ नही है? वो तो बस देख रहा था कि दोनों सही सलामत जा तो रही है,,, कही कोई गुंडा मवाली उन्हें छेड तो नही रहा है,,, "


"ठीक है,,, वो चली गयी,,, अब चल,,, मुझे भी घर छोड़ना है,,, उसके बाद तू भी तो घर जाएगा,, घर पर मम्मी इंतज़ार कर रही होंगी,,, इससे पहले उनका फ़ोन आये मुझे घर छोड़ दे " हंशल ने कहा


"ठीक है,,, ठीक है,,, चलते है, इतना परेशान क्यूँ हो रहा है?" अभीर ने कहा और गाड़ी को मोड़ लिया और दोनों वहां से चले गए


वही दूसरी तरफ हनिश्का, साथ चल रही संध्या से बोली " हमें किसी ने देखा तो नही होगा न, गाड़ी से उतरते हुए "

संध्या ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया, वो तो मानो अभी भी खुद को उसी गाड़ी में बैठा समझ रही थी

हनिश्का ने उसे ज़ोर से हिलाया तब वो बोली " क,, क,,, क्या हुआ,,? कुछ कहा तूने "


"मेरी माँ,,, तू क्या अभी तक उसी गाड़ी में बैठी सौ रही है,,,? होश में आ हम लोग गाड़ी से उतर कर सड़क पर आ गए है,,, ऐसे ही खोयी हुयी चलती रही तो कोई ठोक कर भाग जाएगा " हनिश्का ने कहा

"क्या गाड़ी थी न? मजा आ गया आज उस गाड़ी से आने पर,, वरना तो रोज उस भरी हुयी ऑटो से गड्ढों में खुद को चोट पंहुचाते हुए आना पड़ता है,,, मस्त गाड़ी थी लग रहा था मानो आसमान में उड़ रही थी " संध्या ने कहा


"पागल,,, तू क्या आज से पहले कभी कार में नही बैठी है? जो इस तरह बोल रही है,,, तेरे तो पापा के पास भी कार है " हनिश्का ने कहा


"कार,,, डब्बा है वो? उसे कोई कार कहते है,,, कार तो उसे कहते है जिससे अभी हमें उतरे है,,,कमाल की सीट्स,, ठंडी हवा,, और मस्त खुशबु,,, कितनी खुशकिस्मत होगी वो लड़की जो अभीर से शादी करेगी न,, रोज ऐसे ही गाड़ियों में घूमा करेगी,,," संध्या ने कहा


"तेरा कुछ नही हो सकता,,, अब मुझे बता हमें किसी ने देखा तो नही था गाड़ी से उतरते हुए " हनिश्का ने कहा


"काश की देख लिया हो,,, ताकि मोहल्ले में थोड़ा टशन तो बना सकूँ,,, कि देखो मेरे कितने अमीर दोस्त है " संध्या ने कहा


"टशन की बच्ची,,, तेरा तो कुछ नही जाएगा,,, अगर मामी तक ये बात पहुंच गयी तो तू जानती है, क्या होगा? " हनिश्का ने कहा


"अरे कुछ नही होता है,,, तेरी मामी वैसे भी कौन सा तुझसे खुश होती है,, तू कितना ही करले फिर भी तुझे ताने तो सुनने को ही मिलेंगे,,, इसलिए चिल मार,,, आज के दिन का आंनद ले,,, नही पता फिर कब ऐसा मौका मिले,,, काश कल भी ऑटो नही मिले,, और हमें ऐसे ही खडे वहां मिल जाए कितना अच्छा होगा ना " संध्या ने कहा


"ख्वाबों की दुनिया से बाहर आ कर जरा एक नजर अपने घर पर डाल लो,,, देखो घर आ गया तुम्हारा,,," हनिश्का ने कहा उसकी तरफ देखते हुए


"हाय,,राम, आज तो पता ही नही चला कब घर आ गया,, चल अच्छा चलती हूँ,, तू भी आराम से जाना,, बेफिक्र होकर,,, मामी कुछ कहे तो मुझे बुला लेना "संध्या ने कहा अपने दरवाज़े की देहलीज पर खडे होकर


हनिश्का ने उसकी तरफ देखा और वहाँ से चलने लगी, तब ही संध्या ने उसे आवाज़ दी " हनिश्का रुकना,, मुझे कुछ बताना है "


हनिश्का उसकी तरफ मुड़ी, संध्या उसके पास आयी और बोली " चल छोड़,, कल को बात करुँगी इस बारे में,,, तुझे देर हो जाएगी "

"ठीक है,,, अब जाती हूँ मैं,,, तू भी जा " हनिश्का ने कहा और वहां से जाने लगी



हनिश्का अपने घर की और जा ही रही थी, कि उसे रास्ते में उसकी पड़ोसन मिल जाती है, जिन्हे देख वो नमस्ते करती है, और उनसे उनका हाल चाल पूछती है,,, उसकी पड़ोसन उसे उसके सवालों का जवाब देकर वहां से चली जाती है


अब हनिश्का का घर,,, यानी कि उसके मामा मामी का घर, दरवाज़े पर दस्तक होती है


"रिंकी,,, सुनाई नही दे रहा है,,दरवाज़े पर कोई आया है,,, जा जाकर दरवाज़ा खोल,,, कब से खेल रही है " रिंकी की माँ शकुंतला देवी और हनिश्का की मामी ने कहा अपनी 10 वर्षीय बेटी रिंकी से


"जाती हूँ माँ,,, तुमतो खेलने तक नही देती हो " रिंकी ने कहा दरवाज़े की तरफ जाते हुए


दरवाज़ा खोलते ही, सामने अपनी दीदी को देख रिंकी के चहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो ज़ोर से कहती है " दीदी आ गयी,,,, दीदी आ गयी "


"कैसी है, मेरी प्यारी सी गुड़िया, स्कूल से कब आयी, खाना खाया या नही " हनिश्का ने घर में घुसते हुए रिंकी को प्यार करते हुए कहा


बाहर पलंग पर बैठी, अपनी मामी को देख हनिश्का उन्हें नमस्ते करती है

"नमस्ते,,, नमस्ते,, आज बड़ी देर कर दी तुमने आने में, सब ठीक तो है ना " मामी ने तंस मारते हुए घड़ी की तरफ देखते हुए कहा


"म,,, म,,,, मामी वो,,, दरअसल ऑटो नही मिल रहा था,, इसलिए देर हो गयी " हनिश्का ने कहा


"अच्छा,,, तो फिर किस तरह आयी,,, ऑटो मिला या नही,,, कही टैक्सी से तो नही आयी, जानती है कितना किराया है टैक्सी का " शकुंतला देवी जी ने कहा


हनिश्का  चाहते हुए भी मामी से सच नही कह सकती थी, क्यूंकि वो जानती थी कि उसकी मामी किस तरह की है, वो बात का बतंगड़ बना देती है,,, और वैसे भी उन्हें तो बस बहाना चाहिए होता है,, उसे कुछ कहने का, इसलिए हनिश्का झूठ बोलते हुए बोली " नही मामी, ऑटो मिल गयी थी,"


"ठीक है,,, जा जाकर अपनी किताबें रख आ, रसोई में कुछ खाना है उसे गर्म करके खा ले,,, अगर भूख लगी हो तब " शकुंतला देवी ने कहा


"अच्छा मामी,,," हनिश्का ने कहा और वहां से अपने कमरे में चली गयी


और फिर रसोई में जाकर देखा तो बस थोड़ा सा ही खाना बचा हुआ था जिसे उसने गर्म करके खा लिया और फिर थोड़ा आराम करने के लिए कमरे में गयी ही थी कि बाहर से उसकी मामी ने आवाज़ दे ली जिसके चलते उसे बाहर जाना पड़ा

वही अभीर ने हंशल को घर छोड़ दिया था, और खुद अपने घर के लिए रवाना हो गया था, हंशल बेहद खुश था घर आकर  उसकी माँ ने उससे खाने का पूछा लेकिन पेट भरा होने की वजह से वो थोड़ा आराम करने का कह कर अपने कमरे में चला गया


अभीर भी घर पहुंच जाता है,,, उसे वहाँ मारथा मिलती है,, जो थोड़ा परेशान दिख रही थी


क्या अभीर उसके परेशान होने की वजह जान पायेगा? क्या मारथा उसे बता पायेगी जानने के लिए जुड़े रहे 

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1 Comments

Gunjan Kamal

15-Aug-2023 05:41 PM

शानदार भाग

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